गौरवशाली बिहार का 90 के दशक का वो काला अध्याय !! बिहारियों को अपनों ने लुटा गैरों में कहाँ दम था !!

//गौरवशाली बिहार का 90 के दशक का वो काला अध्याय !! बिहारियों को अपनों ने लुटा गैरों में कहाँ दम था !!

गौरवशाली बिहार का 90 के दशक का वो काला अध्याय !! बिहारियों को अपनों ने लुटा गैरों में कहाँ दम था !!

चार दशकों से कुछ मुठीभर लोगों के द्वारा जातिवाद के नाम पे फोबिया फैलाकर बिहार की धरती को जातिवाद की राजनीती का प्रयोगशाला बना इसे राजनीती के गिद्धों के द्वारा लुटा गया। ये विडिओ बिहार के हर युवा को देखना चाहिए जिससे वो अपने अतीत से वर्तमान का मूल्यांकन कर अपने सोई हुई आत्मा को जगा सके।

बिहार के वो पाच शहर जो कभी औद्योगिक केंद्र हुआ करते थे खुशहाल और गौरवशाली बिहार के उज्जवल भविष्य का 90 के दशक का वो काला अध्याय जिसे जातिवाद रूपी स्याही और नफ़रत के कलम से लिखने वालों ने बिहार के माथे पे एक ऐसा कलंक लिखा जिसने बिहारी शब्द को देश और दुनियाँ में गाली बना दिया।

करीब चार दशक पहले बिहार के उद्योग जगत का सिरमौर रहे रोहतास का डालमियानगर जो अनगिनत मजदूरों का स्वर्ग माना जाता था , जहाँ चीनी, कागज, डालडा, वनस्पति तेल, सीमेंट, रसायन 240 एकड़ क्षेत्र में फैले रोहतास उद्योग समूह का जब चिराग बुझा तो बिहार के उद्योग जगत में अंधेरा छा गया। लेकिन सरकार जातिवाद के राजनीती में मस्त था और बिहार की जनता ताली बजाने में मदमस्त रहा।

बक्सर जिले का डुमराव को बिहार का टेक्सटाइल सिटी कहा जाता था जहाँ टेक्सटाइल मिल, जूता फैक्ट्री, लालटेन फैक्ट्री, कोल्ड स्टोरेज फैक्ट्री और सिंह होरा का सबसे बड़ा उत्पादक था। लेकिन ये सभी उद्योग भी 90 के दसक आते आते उस काला अध्याय के पन्ने में सिमट कर रह गया। नहीं तो बिहार के लोग आज दर-दर ना भटकते दूसरे राज्यों में अपमानित ना होते हैं अगर सभी कंपनियां बिहार में चलती रहती तो शायद आज बिहार भी गुजरात और महाराष्ट्र की तरह संपन्न होता। इतिहास गवाह है कि धर्म और जाति के नाम पर काला अध्याय हीं लिखा जा सकता, इतिहास नहीं रचा जा सकता।

90 के दशक से पहले बंगाल, उत्तर प्रदेश और नेपाल तक से  लोग अपना जीविका उपार्जन  लिए यहाँ के फैक्ट्री और कारखाना में काम करने आया करता था। बिहार के पूर्णिया जिले में किसानों की तरक्की और युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से 60 के दशक में एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल बनमनखी में खोला गया था, 119 एकड़ में फैली इस चीनी मिल  में साल 1970 में उत्पादन शुरू हो गया था। जोकि बिहार के किसान के लिए ऑक्सीजन का काम करता था।

इसी दौरान मधुबनी का सकरी चीनी मिल पूरे भारत वर्ष में अपने बेहतर क्वालिटी के चीनी के लिए इस मिल को पहचाना जाता था, फिर रायम चीनी मिल, लोहत चीनी मिल, पूर्वी चंपारण समस्तीपुर की चीनी मिल, सारण के करीब मढ़ौरा चीनी मिल जिसकी स्थापना 1950 में हुई थी सक्कर उत्पादन में भारत में इसका दूसरा स्थान था इस तरीके से बिहार में लगभग 33 चीनी मिले थी और जब ये सरकार के अंडर में आए तो सरकार के ओछी राजनीती की शिकार होकर  साल 1997 से 1998 के  दौर में सरकारे इन चीनी मिलो को संभाल न सकी और एक के बाद एक मिले बंद होती चली गयी। और बिहार के किसान और मजदुर को बिहार से पलायन करने के लिए मजबूर किया गया।

दरभंगा में स्थापित अशोक पेपर मिल जोकि उस समय के पुरे उतर बिहार में सबसे बड़ा उद्योग, इसके अलावा बिहार की राजधानी पटना से 80 किलोमीटर दूर मढ़ौरा को देश में औद्योगिक सेंटर के रूप में जाना जाता था जहाँ देश का सबसे पसंदीदा मॉर्टन चॉकलेट कंपनी हुआ करता था और इससे उस इलाके का कई हजार लोगो का जीविका उपार्जन होता था। जोकि सरकार की उदासीनता के चलते ये सभी उद्योग धंधे बंद हो गए और जिस कारण बिहार आज देश के सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य के पायदान पे खड़ा देश और दुनियाँ के मानचित्र पे एक कलंक बन कर रह गया ।

आज अपनी स्मिता बचाने का गुहार लगा रही है। इसलिए बिहार के जातिवाद और धर्म के जहर से मूर्क्षित उन दिलफेंक युवा को अपने अतीत से वर्तमान का मूल्यांकन करने की जरुरत है चुकी बिहार से बाहर हमें  जाती के नाम पे नहीं बल्कि हमसभी बिहारी के नाम से जाने जाते है ।

इसलिए सभी बिहारी भाइयों से मेरा अनुरोध है बिहार के गौरव को पुनः स्तापित करने के संकल्प के साथ हम जहाँ है जिस परिस्थिति में है अपने मोबाइल फोन के माध्यम से एक दूसरे से जुड़कर और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर बिहार के समस्या के समाधान के लिए अपनी अपनी राय व्यक्त करने की कृपा करें।  जिससे हमलोग आने वाले चुनाव में अपने अपने क्षेत्र के प्रतिभावन युवा को चुन अपना मजबूत जनप्रतिनिधि विधान सभा और लोक सभा में भेज पाए जो हमारे क्षेत्र की समस्या को दुनियां के सामने मजबूती से पेश कर सके।

बस अंत में आपसभी अनुरोध है की कमेंट में लिखें “एक बिहारी सौ पे भारी ” बस इतना ही मेरा हौसला बढ़ाने के लिए काफी होगा, आप सभी महानुभावों से आग्रह है की इस मुहीम का हिस्सा बन बिहार की समस्या के समाधान के बारे में अपना राय लिखकर , बोलकर या विडिओ बनाकर हमें ईमेल biharvikaskranti@gmail.com पर भेज सकते है।

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By |2023-01-18T17:09:18+05:30February 11th, 2023|मुहिम|0 Comments

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