impossible word को अगर ध्यान से पढ़ेंगे या सुनेंगे तो इस शब्द में ही छुपा है im-possible, इस दुनियां में अस्मभव कुछ भी नहीं Nothing is impossible और दूसरा We can do हम कर सकते है अर्थात हम कुछ भी कर सकते है बस जिसे जिसने इन दो बातों के रहस्य को समझ लिया और स्वयं पे विश्वास कर दृढ संकल्प के साथ आगे बढ़ना प्रारम्भ कर दिया , उसके लिए दुनियाँ में कुछ भी करना संभव हो सकता है ।
चुकी दुनियाँ में हर व्यक्ति अद्वितीय है everyone is unique और सभी में कुछ न कुछ विशिष्ट गुण मौजूद है जरुरत है उसे पहचानने और इस्तेमाल करने का।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 7 दिसंबर 1941 की सुबह का वह दिन जब जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर बंदरगाह पे अपने फाइटर प्लेन से हमला कर वहाँ स्थित नौसैनिक वायुकेंद्र और बंदरगाह को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। उस समय अमेरिका इस हमले को रोकने या जवाबी कार्यवाही के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं था। अब आगे सुनिए कैसे विजय या सफल होने के लिए संसाधानों की नहीं आत्मविश्वास की जरुरत होती है जिसने अमेरिका को विश्व में महाशक्ति बना डाला ।
उस समय डेलानो रूजवेल्ट अमेरिका का राष्ट्रपति था जिसका कमर से निचे का हिस्सा पोलियो से ग्रसित था वो ठीक ढंग से खड़ा भी नहीं हो सकता था लेकिन दुश्मन को जवाब देना अमेरिका के DNA में शुरू से है और पूरा अमेरिका पर्ल हार्बर पे जापान के हमले से पूरी तरीके से सदमे में था।
अब रूजवेल्ट ने एयर फाॅर्स की मीटिंग बुलाई और बोला हमें जापान को जवाब देना हीं पड़ेगा 6 घंटे तक चली उस मीटिंग में रूजवेल्ट समझाता रहा लेकिन अंत तक एयरफोर्स ने बोला की सर ये संभव नहीं.. हमारे पास ऐसा फाइटर प्लेन नहीं है जिसके पास इतना ईंधन हो जो जापान जाकर वापिस आ सके। अब 60 वर्ष के पोलियो से ग्रषित रूजवेल्ट ने अपने अंदर से इतनी ताकत अपने माइंड को दी की उसका पूरा नर्वस सिस्टम काम करने लगा और वो उठ खड़ा हो गया इसे देख पूरा एयर फोर्स स्तब्ध हो गया फिर रूजवेल्ट ने पूछा अब बताओ संभव है या नहीं ?
उन्हें देख सभी एयर फाॅर्स ने बोला यस सर संभव है बस आप बैठ जाईये कैसे भी करें हम जवाब देंगे और 11 प्लेन अमेरिका से जापान के लिए रवाना हो गया उन सभी पायलट को जापान पहुंचते ही पता चल चूका था की अब हमारे पास वापिस जाने का ईंधन नहीं है और सभी पायलट ने वायरलेस सिस्टम के माध्यम से आपस में बात किया और हर पायलट समझ गया था की हम वापिस नहीं जा सकते और उन्होंने अपनी अपनी जहाज जापान के बड़े बड़े बिल्डिंगों में डाल जापान में तबाही मचा दी और जापान को समझा दिया था की हम जवाब दे सकते है ।
और रूजवेल्ट यहीं नहीं रुका उन्होंने चार साल के अंदर तैयारी कर चार साल बाद अमेरीका ने 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला कर ऐसी तबाही मचाया की उसके बाद आजतक उसके तरफ आँख उठाकर देखने का साहस किसी किसी को नहीं हुआ और अभी तक विश्व का महाशक्ति बना हुआ है।
इसलिए अगर व्यक्ति पूरी संकल्प के साथ ठान ले तो दुनियाँ में कुछ भी असंभव नहीं। जरुरत है मजबूत इरादे , दृढ संकल्प और अथक प्रयास का इसलिए बिहार वासी को विस्वास दिलाना चाहते की हम अपने पिछड़ापन और गरीबी से निजात पा सकते है जरुरत अपने मानशिकता में बदलाव लाने की। आजादी की लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लोगों से आवाहन किया था तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा लेकिन मुझे खून नहीं चाहिए और न सड़क पे आंदोलन करने की जरुरत है और न किसी नेता का विरोध करने की जरुरत है।
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नमस्कार जय हिन्द जय बिहार।
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