वर्ष 1967 में मुख्यमंत्री बने Mahamaya Prasad Sinha के बाद 55 साल में अभी तक 41 मुख्यमंत्री और 8 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। इसमें से 2 या 3 मुख्यमंत्री ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए वरना कितने तो तीन दिन या सात दिन और तेरह दिन ही मुख्यमंत्री रह पाए और ज़्यदातर मुख्यमंत्री एक साल से कम तक ही अपना शासन चला पाए। इससे आप समझ सकते है की नेता लोग भी क्या करे ज्यादातर नेता तो कुर्शी और सरकार बचाने के तिगड़म में हीं अपना कार्यकाल गवां दिया। वो बिहार का विकास क्या करेगा।
इससे आप अंदाजा लगा सकते है की जातिवाद की राजनीती ने बिहार को किस तरह बर्बाद किया और आज देश के सबसे पिछड़े और गरीब राज्य के श्रेणी में लाकर बिहार को लाचार और विवस कर दिया। और देश और दुनियाँ में बिहारी शब्द को गाली बनाकर छोड़ दिया।
इसका सबसे बड़ा जिम्मेदार बिहार का नेता नहीं बल्कि चंद पैसों के लिए अपना वोट बेचने वाले, एक बोतल शराब और चंद खैरात के बदले में अपना जमीर बेचकर अपनी मातृभूमि और अपने बच्चे के भविष्य को दांव पे लगाने वाले वो गद्दार लोग जिन्होंने गौरवशाली बिहार के अस्मिता को मिटटी में मिला दिया और जिसके परिणामस्वरूप आज बिहारी को बिहार से बाहर अपना सर झुकाकर चलना पड़ता है।
इसलिए बिहार में जातिवाद के जहर से मूर्छित उन सभी महानुभवों से मेरा आग्रह है की बदले की राजनीति को छोड़ बदलने की रणनीति पे अपना एकता दिखाकर आने वाले चुनाव में हमलोगों को इतिहास रचना है। हमें किसी पार्टी को वोट देने की जरूरत नहीं बल्कि हम अपने मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन जुड़कर और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस मुहीम से जोड़कर अपने अपने क्षेत्र में ऐसे प्रतिभाशाली निर्दलीय उमीदवार को चुनेगे जिसके पास अपने क्षेत्र की समस्या के समाधान के साथ साथ समृद्ध और श्रेष्ठ बिहार बनाने की रोडमेप हो। ये रणनीति कैसे सफल होगा इस संबंध पूरा विडिओ जल्द आपलोगो के सामने होगा।
बस आप सभी से एक ही अनुरोध है, इस मुहीम का हिस्सा बन समाज में जागरूकता फ़ैलाने का कोशिस कर समृद्धशाली बिहार बनाने में अपना भागीदारी निभाएं।
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