हम बिहारी लोग मजदुर है मजबूर नहीं, इतिहास साक्षी है बिहार ने जब जब अपना सर उठाया है तब तब एक नया इतिहास रचा है। वर्तमान के हो रहे गठबंधन, महागठबंधन से आप सभी अवगत ही है इस विषय में बात कर अपना समय नहीं बर्बाद नहीं करना nahi chate। बिहार ने साठ के दशक के बाद 45 मुख्यमंत्री और 8 बार राष्ट्रपति शासन को देखा और 90 के दशक का वो जंगल राज जिसमें गोलियों की तड़तड़ाहट, गिरती लाशें, जातिगत दंगों में होते नरसंहार भी देखा और जिस कलंक ने बिहारी शब्द को गाली बना दिया और उसी जातिगत राजनीती के हासिये पे बिहार अबतक हलाल हो रहा है और देश का सबसे पिछड़ा और गरीब ऱाज्य बनकर रह गया।
जाति और धर्म के नाम पे लड़के क्या मिला हमें ?? सिर्फ भूख, गरीबी, हिँसा और पिछड़ापन, बहुत सहा हमने बहुत झेला हमनें अब किसी से कोई गिला शिकवा नहीं और न हमें किसी नेता का विरोध करने में अपना वक्त बर्बाद करना मुझे बदले की राजनीती नहीं बल्कि बिहार को बदलने की राणिनीति पे काम करना होगा, वो भी अतिशीघ्र । बिहार के गौरव को पुनःस्थापित करने के लिए हमारा एक ही जाति होगा बिहारी जिस नाम से दुनियाँ हमें जानती और एक हीं धर्म होगा राष्ट्र धर्म तभी हम बिहार के विकास के लिए एकजुट हो पाएंगे।
कहीं बुलेट ट्रेन तो कहीं स्मार्ट सिटी सभी राज्य का विकास हो ये ख़ुशी की बात है लेकिन अभी तक बिहार का बाढ़ त्रासदी का समाधान क्यों नहीं किया गया ??? सभी राज्य में नए नए उद्योग धंधे लग रहे है और बिहार के पुराने उद्योग धंधे और 40 से ज्यादा फैक्ट्रियां दशकों बंद पड़े है। केंद्र हो या राज्य सरकारें दशकों से सभी ने हमें जाती और धर्म के नाम बाँटा किसी ने हमारा विकास के लिए नहीं सोचा, नहीं तो आज बिहार देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य के श्रेणी में नहीं रहता।
अब हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते अब हमलोग अपने बिहार की मान सम्मान और बिहार की स्मिता बचाने का जिम्मा खुद अपने कंधे पे लेंगे..। बिहार किसी नेता का बपौती नहीं.. बिहार से बाहर जब हम मजदूरी करने जाते है तो गाली हमलोग सुनते है पटना में बैठे नेता लोग नहीं। इसलिए अब हमलोग किसी पार्टी के के द्वारा बनाये गए उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे बल्कि अपना गरीब मजदुर और किसान के बेटे को अपना जनप्रतिनिधि चुनेंगे चुकी बिहार को मजबूर नहीं मजबूत नेतृत्व की जरुरत है।
इतिहास गवाह है सिर्फ राजा का बेटा राजा नहीं बन सकता बल्कि गरीब के बेटे को भी राजा बनाने का अधिकार है, मगध के चक्रवर्ती सम्राट चाणक्य का शिष्य चद्रगुप्त मौर्य और अपनी वीरता के बल पे मगध से मुल्तान तक अपना साम्राज्य फ़ैलाने वाला बिहार के सासाराम के छोटे से जागीरदार के बेटे वीर शासक शेरशाह कोई राजा का बेटा नहीं था। तो फिर गरीब, किसान मजदूर का बेटा सरकार क्यों नहीं चला सकता।
जिसने कभी गरीबी नहीं देखी वो क्या गरीब का दुःख समझेगा, जिसने कभी खेत में काम नहीं किया वो क्या किसान का दर्द समझेगा, जिसने कभी मेहनत मजदूरी नहीं की वो क्या मजदूर का दर्द समझेगा?? तो फिर ये नेता लोग गरीब किसान मजदुर का दर्द क्या समझेगा।
हो सकता है ये विडियो सरकार या नेताओं के द्वारा डिलीट कर दिया जाय इसलिए पूरा विडिओ देखने के साथ अगर अच्छा लगे तो आप सभी से निवेदन है की इस विडिओ को इतने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर और फॉरवर्ड करदें की एक ही दिन में वायरल हो जाए और जिससे देश के किसी भी कोने में रह रहे बिहार के लोगों तक ये विडिओ पहुंच जाये और जिससे हमें जाति और धर्म के नाम पर बांटने वाले बिहार के नेताओं को गरीब, किसान, मजदुर के एकता की शक्ति का एहसास हो जाये।
जो भी इस डिजिटल क्रांति का हिस्सा बनने के इच्छुक है वो अपना नाम पता लिखकर स्क्रीन पे दर्शाये जा रहे व्हाट्सप्प नम्बर पे भेजने की कृपा करें। हमलोगो को सड़क पे आंदोलन करने की जरुरत नहीं बल्कि हमलोग अपने मोबाइल के माध्यम से हर दिन दस मिनट ऑनलाइन जुड़कर और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस मुहीम से जोड़कर सभी के सलाह और सर्वसम्मति से बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए राणिनीति बनाकर अपने अपने क्षेत्र का प्रतिभावान जनप्रतिनिधि कैसे चुने इसका रोडमैप तैयार कर सकते है ।
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