हमलोग ज्यादातर समय सोचने में, दूसरे को देखने, दूसरे के चरचा और नेताओं तथा खिलाडियों के लिए ताली बजाने और हू लाला, भावी देवरा वाला अंग प्रदर्शन देखने में बर्बाद कर देते है, हमलोग दूसरों को देखने के चक्कर में दर्शक बनकर रह गए। हम जब तक हम फालतू की बातों में अपना समय बर्बाद करते रहेंगे तबतक फालतू ही बने रह जायेंगे। जरुरत है आत्मंथन की हमें क्या देखने और सुनने से फायदा मिलेगा वो हमें स्वयं से पूछना होगा और स्वयं को बदलने की शुरुआत करना होगा।
अब सवाल उठता है स्वयं को कैसे बदले तो सबसे पहले बहाना बनाना बंद करना होगा, अपना कमजोरी को ताकत बनाना सीखना होगा, जो है हमारे पास जो है उसी से शुरुआत करनी होगी, जहाँ है वही से प्रारम्भ करना होगा, बहार नहीं अपने अंदर ढूढना होगा, हम क्या कर सकते है ये खुद से सवाल करना होगा। लोगो को देखना छोड़ दो, दर्शक नहीं दार्शनिक बनो, लोगों का सुनना छोड़ दो अपना दिल का सुनना चालू कर दो।
हो सकता है हम बेरोजगार है हमारे पास पैसे नहीं है, हम गरीब है तो फिर ये नहीं सोचना है की हमारे पास तो कोई काम नहीं हम दस बजे उठेंगे तब भी कोई प्रॉब्लम नहीं इसका मतलब हमारा स्वयं पर ही नियंत्रण नहीं है पहले खुद का मालिक बनना सीखो, फिर अपने आप को अनुशासित करने के लिए अपना दिनचर्या का रूटिंग बनाना होगा ।
अब चिड़ियाँ बोले की हमारे पास कोई काम नहीं हम क्यों उठे सुबह सबेरे तो वो भूखा मर जायेगा, सूर्य सोचले की हम प्रतिदिन क्यों उगे तो वो फिर थक जायेगा इसलिए प्रकृति को देखकर हम अनुशासित हो सकते है सूर्योदय से एक घंटे पहले उठाना सीखो और उस एक घंटे में स्वयं का ध्यान, स्वयं के प्रति विस्वास जगाना होगा की हम सबकुछ कर सकते है, दुनियाँ कर सकता तो हम क्यों नहीं ??
जब एक अपाहिज इतिहास रच सकता तो मैं क्यों नहीं ?? फिर हर दिन मोबाइल पे कम से कम कम एक घंटे किसी सफल व्यक्ति के बारे में सुनना और पढ़ना है फिर एक घंटे सफल लोगों के द्वारा लिखे गए ऑडियो बुक सुनने की आदत डालना है अपने आपको अपडेट रखने के लिए वर्तमान में दुनियाँ में क्या चल रहा और क्या नया होनेवाला है उसके ऊपर नजर रखना है ये सब हमें मोबाइल के माध्यम से ही सम्बव हो जायेगा।
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