राष्ट्रधर्म क्यों सर्वोपरि ??

//राष्ट्रधर्म क्यों सर्वोपरि ??

राष्ट्रधर्म क्यों सर्वोपरि ??

आप सभी अगर अध्यन करेंगे तो पाएंगे वीरों और महपुरुषों को हम जाति और धर्म से नहीं जानते बल्कि उनके महान कर्तव्य तथा मानवजाति के कल्याण के लिए दिए गए योगदान तथा राष्ट्र और विश्व के लिए दिए गए त्याग, बलिदान के लिए दुनियाँ उसे याद करती है।

आजादी के लड़ाई में चाहे वो बाबा तिलका मांझी हो या उदैया चमार हो या चेतराम जाटव और बल्लू मेहतर, असफाक उल्ला खान हो या पंडित रामप्रसाद विस्मिल्ल हो या वीर कुंवर सिंह या मंगल पांडेय जैसे अनेकों क्रांतिवीर जिसमे सभी जाति और धर्म के लोग लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दीऔर सभी का योगदान अतुलनीय रहा और उन सभी महावीरों को जाति और धर्म के चश्मे से देखना बेईमानी होगी।

चुकी उनका एक ही जाती और धर्म था राष्ट्रधर्म और उसका एक ही उदेश्य था आजादी और ठीक इसी प्रकार हम सभी बिहार वासियों को बिहार से बहार जाति या धर्म के नाम पे नहीं जनता बल्कि बिहारी के नाम से ही जानता है जो बिहारी शब्द आज गाली बन चूका है और आज बिहार देश के सबसे निचले पायदान पे खड़ा है ऐसे में हर बिहारी का एक ही उदेश्य एक ही लक्ष्य होना चाहिए बिहार का विकास में हम क्या योगदान दे सकते है।

किसी भी व्यक्ति या समाज या राष्ट्र को शिखर पे पहुंचने के लिए सर्वप्रथम जरुरी है उसके मानसिकता में परिवर्तन लाना, वदले की भावना को छोड़ बदलने की भावना से जाती और धर्म की मानशिकता से ऊपर उठ राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानने के ऊपर सहमति बनानी होगी ।तभी हम एक हो पाने और एकता का परिचय देने और देश और दुनियाँ में अपना पहचान बनाने में सक्षम हो पाएंगे।

इसलिए आने वाला चुनाव में बहुमत और लोकमत वाली मजबूत नेतृत्व वाली सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्धता दिखानी होगी और इसके लिए हमलोगो को सड़क पे आंदोलन करने की जरुरत नहीं बल्कि अपने मोबाइल के माध्यम से हर दिन दस मिनट ऑनलाइन जुड़कर अपने मित्रो और परिजनों के साथ जुड़कर आप सभी EMAIL- biharvikaskranti@gmail.com  के माध्यम से अपना विचार हम तक भेज सकते है और जिसके माध्यम से हमलोग बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए राणिनीति बनाकर डिजिटल क्रांति के माध्यम से अपने अपने क्षेत्र का प्रतिभावान जनप्रतिनिधि सर्वसमत्ति से कैसे चुने इसका रोडमैप तैयार करेंगे।

Spread the love
By |2023-01-18T17:12:19+05:30February 3rd, 2023|युवा प्रेरणा|0 Comments

About the Author:

Leave A Comment