बिहार हमेशा से लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा, डाॅ राजेंद्र प्रसाद, लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर, बाबू जगजीवन राम, “बिहार केसरी” डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह, भोला पासवान, ललितनारायण मिश्र, जैसे यसस्वी और ईमानदार नेता इसी धरती से पैदा लिए।
प्राचीन काल में विश्व के लिए ज्ञान का केंद्र रहा बिहार का नालंदा विश्वविद्यालय, आयुर्वेद और विज्ञानं से दुनियाँ को परिचित कराने वाले महर्षि चरक की भूमि और महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली और महात्मा बुध के लिए तपोभूमि रही बिहार की जनता दशकों से अपने जाती के ठेकेदारों का गुलाम बनकर रह गया है और गुलाम लोगों को जीने का कोई अधिकार नहीं इसलिए बिहार के जनता के साथ जो हो रहा है वो उन्ही के किये का फल है। और आज बिहारी शब्द गाली बनकर रह गया।
निर्णय बिहार के युवा को लेना होगा की हमारा खोया हुआ इज्जत कैसे वापिस लाना है। इस पिछड़नेपन के कलंक को कैसे मिटाना है। हमें जातिवाद के मूर्क्षा से जल्द बहार निकल एक स्वक्ष राजनीती की नींव रखनी होगी वरना शायद बिहारियों का अस्तित्व ही न मिट जायेगा।
कबतक हम आरोप और प्रत्यारोपों में अपना समय बर्बाद करते रहेंगे बदले की राजनीती को छोड़ बदलने की संकल्प के साथ हम सभी को एकता का परिचय देना होगा तभी हम अपने माथे पे लगे पिछड़ा होने का कलंक को मिटा पाने में सफल हो पाएंगे।
और इसके लिए सड़क पे आंदोलन की जरुरत नहीं बस जो जहाँ है वहां अपना काम करते हुए हर दिन दस मिनट इस मुहीम के साथ खुद जुड़कर और ज्यादा से ज्यादा अपने मित्रों परिजनों को इस डिजटल मुहीम से जोड़कर अपने समाज में जागरूकता फ़ैलाने के लिए इस चैनल के विडिओ को शेयर और फॉरवर्ड करने के साथ साथ अपना विचार प्रकट करने की कृपा करें। मिलते है अगले विडिओ में तबतक के लिए जय हिंद जय बिहार।
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