सपना से सोच का जन्म और सोच रूपी बीज को माइंड में डालने के बाद जिस पौधा का जन्म होता है उसे लक्ष्य कहते हैI बस जरुरत है अपने अंदर सोच पैदा करने की और उसे संकल्प के साथ अंजाम तक पहुंचाने की जूनून पैदा करने की।
अब सवाल उठता है अपने अंदर सोच कैसे पैदा करें इसके लिए कुछ नहीं अपने आपसे सवाल पूछना चालू कर दीजिये, हम पैदा क्यों लिए?? हम जो जीवन जी रहे क्या सही माने में यही जीवन है ?? जीवन का वास्तविकता क्या है ?? सफल और असफल लोगों में अंतर क्या है ?? एक नागरिक के रूप में हमारा कर्तव्य क्या होना चाहिए?? एक मनुष्य होने के नाते अपने परिवार, समाज या राष्ट्र के लिए हम क्या योगदान कर सकते है ?? व्यक्ति महान कैसे बनता है?? ऐसे अनेकों प्रश्नो का लिस्ट बनाकर फिर इसके उत्तर ढ़ूढ़ने में अपने अंदर व्याकुलता लाना होगा ऐसी व्याकुलता जैसे एक मासूका से मिलने की तड़प होती है, ऐसी व्याकुलता जैसे एक बिछड़े हुए बच्चे से माँ की मिलने की तड़प होती है।
फिर टीवी देख्ने या मोबाइल जिसे हम देख रहे है चाहे वो क्रिकटर हो या नेता या फिल्म स्टार उसे देखते समय भी अपने आप से सवाल कर सकते है की ये बन सकता है तो मैं क्यों नहीं आप अपने इर्द गिर्द जो कुछ भी देख या सुन रहे है उन सभी के बारे में अंदर सवाल पैदा करना होगा??
अपने चारो तरफ सवालों की दिवार खड़ी कर देना है, चुकी आप जो कुछ भी देख रहे है मोबाइल, टीवी, गाड़ी इत्यादि उसे कोई न कोई न बनाया होगा तो फिर हम भी कुछ बना सकते है हम भी तो कुछ बड़ा कर सकते है ये जिज्ञासा जब तड़प बन जय तो एक दिन आपके अंदर से अचानक उत्तर आएगा हाँ तू ये कर सकता है बस वहीँ घटना घट जाएगी आप अपना लक्ष्य का निर्धारण करने में सक्षम हो पाएंगे।
जिस दिन ये जिद्द पैदा हो गया की इस दुनियाँ में हम आये हैं तो हमें कुछ बड़ा करना, कुछ नया करना है यही जिद्द आपको विशिस्ट बना सकता है यही जिद्द मानव से आपको महा मानव बना सकता है और आपका जीवन सफल हो सकता है वरना जीता तो सब है लेकिन जीवन का आनंद का अनुभूति कोई कोई ही कर पाता है।
अगर हमारा सोच लोक कल्याणकारी हो तो हमारा लक्ष्य विशाल हो जाता है और फिर इसमें समस्या भी विशाल हीं नजर आता है लेकिन जिस लक्ष्य से मानव जाति का कल्याण सम्भव हो उस लक्ष्य को पाने के लिए अगर व्यक्ति पूर्ण समर्पण और लगन से संकल्प के साथ अपना अथक प्रयास अगर जारी कर दे तो कुछ समय बाद प्रकृति भी आपका सहयोग करना प्रारम्भ कर देगा चुकी आप इस लक्ष्य के माध्यम से सृष्टि के रचना में सहयोग का भागीदार बन रहे है। जोकि आपको महान बनाने के साथ साथ आपको अमर बना सकता है। अब फैसला आपको करना है की हम क्या लक्ष्य चुने।
इसलिए स्वयं को पहचाने और अपने व्यक्तित्व निर्माण पे फोकस करें सफलता आपकी कदम चूमेगी।
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